रविवार, 23 जून 2019

प्रायश्चित !

        गौरव आज गांव आया हुआ था पिताजी ने गांव में एक मंदिर का निर्माण कराया है उसी का रुद्राभिषेक का कार्यक्रम है।पूजा में उसने भी श्रध्दापूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के समापन पर भण्डारे का आयोजन था।

  मंदिर के विशाल प्रांगण में  भोजन करने वालों के दो ग्रुप थे उन्हें एक दूसरे से अलग बैठाया गया था तो गौरव को कुछ अजीब सा लगा लेकिन एक तरफ के लोग खाने के बाद पापा के पास आकर दूर से जमीन के पैर छू कर जा रहे थे । यह देखकर उससे रहा नहीं गया - "पापा ये क्या कर रहे हैं ये लोग ?"
"ये अछूत लोग है तो हमें न छूकर दूर से पैर छूते हैं ।"
"लेकिन इतने बुजुर्ग लोग भी ।"
"हाँ हाँ इसीलिए तो अन्नदाता कहते है ।"
    "पापा आप भी ये मानते चले आ रहे हैं । "
"ये परंपराएं तो बाप दादाओं के जमाने से चली आ रही हैं । इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ।"
"लेकिन मैं कर सकता हूँ , समय के हिसाब से परंपराएं बदली भी जा सकती हैं।और उसने बढ़कर एक अछूत बुजुर्ग के पैर छू लिए ।"
"ये क्या किया मालिक ?आप हमें पाप में डालेंगे ।"

  • "नहीं दादा अपने पूर्वजों के पाप का प्रायश्चित कर रहा हूँ ।"

शुक्रवार, 21 जून 2019

पहले मेरी माँ है @

        रानू जब सोकर उठा तो माँ वहाँ नहीं थी । आज माँ उसको जगाने भी नहीं आई । वह खोजता हुआ गया तो बाहर बरामदे में माँ लेटी थी और वहाँ सब लोग इकट्ठे थे । वो दादी जो कभी माँ से सीधे मुँह बात नहीं करती थी , माँ के सिर पर हाथ फिरा रहीं थी । बुआ माँ को सुंदर साड़ी पहना चुकी थी । लाल-लाल चूड़ियाँ , बाल भी अच्छे से बँधे थे ।
       रानू को समझ न आया कि आज माँ को ये लोग क्या कर रहीं हैं । कभी अच्छी साड़ी नानी के यहाँ से लाईं तो बुआ ने छीन ली । रात दिन काम में लगी रहने वाली माँ आज लेटी क्यों है?
पापा को लोग घेर कर बैठे थे । हर बात में माँ को झिड़कने वाले पापा चुप कैसे हैं ? वह माँ के पास जाकर हिलाने लगा - "उठो माँ तुम सोई क्यों हो?"
          बुआ ने हाथ पकड़ कर खींच लिया - "दूर रहो , तेरी माँ भगवान के घर चली गई है ।"
   "किसने भेजा है? पापा ने , दादी ने या आपने ?"
"बेटा कोई भेजता नहीं , अपने आप चला जाता है आदमी ।"
"झूठ , झूठ , सब झूठ कह रहे हो ।" वह आठ साल का बच्चा अपनी माँ को तिरस्कृत ही देखता आ रहा था । माँ कुछ कहती तो पापा कहते -"पहले मेरी माँ है , उनके विषय में कुछ न सुनूँगा ।"
           वह दौड़कर पापा के पास गया और झकझोरते हुए बोला - " पापा आपने मेरी माँ को क्यों भगवान के पास भेज दिया ? माँ से हमेशा कहते थे कि पहले मेरी माँ है , तो अपनी माँ को पहले क्यों नहीं भेजा ?"
           वापस दौड़कर माँ के पास आया और शव के ऊपर गिर कर चीख चीख कर रोने लगा ।