लॉक डाउन !
"माँ इस लॉक डाउन ने तो लोगों के जीवन को पंगु बना दिया है । ये निर्णय पूर्णतया गलत है , जहाँ पर कोई कोरोना वाला नहीं है , वहाँ पर तो ये जनता पर अत्याचार हो गया।" किशोर बोला ।
"नहीं बेटा ऐसा नहीं है, अगर इटली,चीन और अमेरिका जैसे विकसित देशों में इसकी जरूरत समय पर समझी होती तो इस मानव क्षति पर अंकुश लगाया जा सकता था।" सुधा ने उसको समझाया।
"पर माँ देश की इकॉनमी कहाँ जायेगी? हम बहुत पीछे चले जायेंगे, पढाई लिखाई बंद , काम बंद , बाजार बंद , उत्पादन बंद , कल हम एक एक चीज को तरस जाएंगे ।" किशोर अपनी उम्र के अनुसार सोच रहा था ।
" किशोर अगर देशवासी सुरक्षित और ठीक रहेंगे तो हम फिर सँभल जायेंगे । ये प्रकृति का एक कहर ही है और वह क्रोधित होती है तो सारी सृष्टि को तहस नहस कर देती है। लातूर का भूकंप , बद्रीनाथ की त्रासदी , सुनामी जैसे कहर हम भूल कैसे सकते हैं ? "
"लेकिन माँ कितनी बोरिंग लाइफ हो गई है । पढ़ा भी कितना जाय ? न कहीं बाहर जा सकते हैं और न कोई मनोरंजन। "
" ये सोचो संक्रमण फैलने से कितना बच रहा है। नहीं तो हमारे देश का ग्राफ भी इटली की तरह बढ़ गया होता देश की सरकार एक एक कदम फूँक फूँक कर रख रही है।"
" ये तो है माँ ।" किशोर समझने लगा था ।
"और सबसे बड़ी बात उस वर्ग को अपने हाथ से काम करना आ गया , जो सिर्फ व्यक्तिगत कार्यों के लिए ही हाथ चलाता था।" माँ ने तिरछी निगाह से पापा की ओर देखा। किशोर मुस्कराने लगा ।
"लेकिन लोग तब भी फॉलो नहीं कर रहे हैं और दूरी भी नहीं बना कर रख रहे हैं । विदेश से आने वाले भी क्वारंटाइन का पालन नहीं कर रहे हैं।" अब पापा की बारी थी ।
"लॉक डाउन इसी लिए लागू किया गया है कि कोरोना के फैलने की आशंका कम हो । जिस त्रासदी को विश्व के अन्य देश झेल रहे है , हम समय से पहले सतर्क हो सकें । "
"आज हमारे देश में अगर अन्य देशों से बीमारी का औसत कम है तो सिर्फ इसी लॉक डाउन के कारण । वायु प्रदूषण कितना कम हो गया है ? अंधाधुंध गाड़ियों की रफ़्तार से बढ़ता ध्वनि प्रदूषण भी अब नहीं रहा है। हाँ कुछ असुविधाओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन जीवन की कीमत के लिए वह कुछ भी नहीं है ।"
"हम कब मना कर रहे हैं कि लॉक डाउन गलत है बल्कि एक बुद्धिमत्ता पूर्ण निर्णय है ।" किशोर और पापा एक साथ बोल पड़े । अब सुधा के मुस्कराने की बारी थी।
"माँ इस लॉक डाउन ने तो लोगों के जीवन को पंगु बना दिया है । ये निर्णय पूर्णतया गलत है , जहाँ पर कोई कोरोना वाला नहीं है , वहाँ पर तो ये जनता पर अत्याचार हो गया।" किशोर बोला ।
"नहीं बेटा ऐसा नहीं है, अगर इटली,चीन और अमेरिका जैसे विकसित देशों में इसकी जरूरत समय पर समझी होती तो इस मानव क्षति पर अंकुश लगाया जा सकता था।" सुधा ने उसको समझाया।
"पर माँ देश की इकॉनमी कहाँ जायेगी? हम बहुत पीछे चले जायेंगे, पढाई लिखाई बंद , काम बंद , बाजार बंद , उत्पादन बंद , कल हम एक एक चीज को तरस जाएंगे ।" किशोर अपनी उम्र के अनुसार सोच रहा था ।
" किशोर अगर देशवासी सुरक्षित और ठीक रहेंगे तो हम फिर सँभल जायेंगे । ये प्रकृति का एक कहर ही है और वह क्रोधित होती है तो सारी सृष्टि को तहस नहस कर देती है। लातूर का भूकंप , बद्रीनाथ की त्रासदी , सुनामी जैसे कहर हम भूल कैसे सकते हैं ? "
"लेकिन माँ कितनी बोरिंग लाइफ हो गई है । पढ़ा भी कितना जाय ? न कहीं बाहर जा सकते हैं और न कोई मनोरंजन। "
" ये सोचो संक्रमण फैलने से कितना बच रहा है। नहीं तो हमारे देश का ग्राफ भी इटली की तरह बढ़ गया होता देश की सरकार एक एक कदम फूँक फूँक कर रख रही है।"
" ये तो है माँ ।" किशोर समझने लगा था ।
"और सबसे बड़ी बात उस वर्ग को अपने हाथ से काम करना आ गया , जो सिर्फ व्यक्तिगत कार्यों के लिए ही हाथ चलाता था।" माँ ने तिरछी निगाह से पापा की ओर देखा। किशोर मुस्कराने लगा ।
"लेकिन लोग तब भी फॉलो नहीं कर रहे हैं और दूरी भी नहीं बना कर रख रहे हैं । विदेश से आने वाले भी क्वारंटाइन का पालन नहीं कर रहे हैं।" अब पापा की बारी थी ।
"लॉक डाउन इसी लिए लागू किया गया है कि कोरोना के फैलने की आशंका कम हो । जिस त्रासदी को विश्व के अन्य देश झेल रहे है , हम समय से पहले सतर्क हो सकें । "
"आज हमारे देश में अगर अन्य देशों से बीमारी का औसत कम है तो सिर्फ इसी लॉक डाउन के कारण । वायु प्रदूषण कितना कम हो गया है ? अंधाधुंध गाड़ियों की रफ़्तार से बढ़ता ध्वनि प्रदूषण भी अब नहीं रहा है। हाँ कुछ असुविधाओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन जीवन की कीमत के लिए वह कुछ भी नहीं है ।"
"हम कब मना कर रहे हैं कि लॉक डाउन गलत है बल्कि एक बुद्धिमत्ता पूर्ण निर्णय है ।" किशोर और पापा एक साथ बोल पड़े । अब सुधा के मुस्कराने की बारी थी।
आज की जरूरत को कितनी खूबसूरती के साथ आपने दर्शाया है ,सबकी सहमति एवं सहयोग की आवश्यकता है इस मुश्किल घड़ी में ।जहां विश्वास और एकता की शक्ति मिल जाये वहाँ सब बढ़िया ही होगा ।जिस पैर से परेशानियां आई है उसी पैर से वापस लौट भी जाएंगी ।बस हम यूँ ही हिम्मत और धैर्य के साथ काम ले तथा जीवन व्यतीत करे ।शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसच ही तो है...सार्थक संदेश देती पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दीदी आज के समय पर इससे बेहतर लेखन और कुछ नहीं हो सकता
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