बुधवार, 28 अगस्त 2019

इंतजार !

             मिश्रा जी की माताजी का सुबह निधन हो गया । बिजली की तरह खबर फैल गई । लोगों का आना जाना शुरू हो गया । अभी मिश्रा की बहनें नहीं आईं थीं , इसलिए उनका इंतजार हो रहा था ।
घर का बरामदा औरतों से भरा था । पार्थिव शरीर भी वहीं रखा था । औरतें यहाँ भी पंचायत कर रहीं थी -
" देखना अब मिश्रा जी भी यहाँ नहीं रहेंगे । दोनों आदमी बीमार रहते हैं , बेटे के पास चले जायेंगे ।" सामने घर वाली तिवारिन बोली ।
" और ये इत्ता बड़ा मकान , इसका क्या करेंगे ?" बगल वाली गुप्ताइन ने.पूछा ।
" अब तो बिकेगा ही , अभी तक तो माताजी के कारण यहाँ थे । अब तो बेटे के पास जायेंगे न । "
" सुना है बेटे ने वहाँ फ्लैट खरीद लिया है ।"
" हम बात करेंगे भाभी से हमें दे दें तो दोनों बेटों का आमने सामने हो जायेगा ।" तिवारिन ने अपना दाँव फेंका ।
" तुम क्यों हम न ले लेंगे , अगल बगल बने रहेंगे हमारे देवर और हम बीच से दरवाजा फोड़ लेंगे ।" गुप्ताइन ने जरा तेज आवाज में कहा ।
मिश्राजी के मित्र की पत्नी ये सब सुन रहीं थी , उनसे रहा न गया तो दबी आवाज में बोली - " इस मिट्टी का तो लिहाज करो , माँ अभी गईं भी नहीं और आप लोग तो मकान भी खरीदने के लिए लड़े जा रहे हैं । क्या इसी दिन का इंतजार कर रहीं थी ?"
सन्नाटे के साथ दोनों के मुँह पर हवाइयाँ उड़ने लगीं ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. अफ़सोस कि आज का सच यही है समाज को आईना दिखाती लघुकथा | बहुत ही शानदार

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-08-2019) को "चार कदम की दूरी" (चर्चा अंक- 3443) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. चर्चा की ब्लॉग के प्रति प्रतिबद्धता सभी इससे जुड़े लोगों के प्रति एक आदर का भाव देती है कि बड़ी ईमानदारी से वे अपने कार्य को आज भी अंजाम दे रहे हैं। आभार !

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  3. हाँ,संवेदनाहीनता दूसरे की मानसिक दशा का भी विचार नहीं करती.देख कर बड़ी निराशा होती है.

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कथानक इसी धरती पर हम इंसानों के जीवन से ही निकले होते हैं और अगर खोजा जाय तो उनमें कभी खुद कभी कोई परिचित चरित्रों में मिल ही जाता है. कितना न्याय हुआ है ये आपको निर्णय करना है क्योंकि आपकी राय ही मुझे सही दिशा निर्देश ले सकती है.