आज इरा अपने बेटे की नौकरी लगने के उपलक्ष्य में एक छोटी सी पार्टी दे रही थी। इस दिन के लिए उसने अपने जीवन के २४ साल होम कर दिए। इतने वर्ष तो उसने अपने पति की बुराइयों के बीच उसकी ज्यादातियों से लड़ते लड़ते गुजार दिए। आज तो विषय भी अच्छे से सजा संवरा लोगों का स्वागत कर रहा था। आज की स्थिति देख कर ये लग रहा था कि इरा ने इतने दिनों से इसी विजय पर्व के लिए तपस्या की थी।
इरा रिटायर्ड पिता की सबसे छोटी संतान थी, पढ़ी लिखी और बैंक में नौकरी कर रही थी। किसी ने रिश्ता बताया और माँ - बाप तैयार हो गए। बड़े गाड़ी और बंगले वाले घर का रिश्ता आया था, ऊपर से लडके का बड़ा सा बिजनेस। उन लोगों ने कहा कि उन्हें नौकरी नहीं करवानी है और अगर शादी के बाद छोड़ेगी तो लोग कहेंगे कि ससुराल वालों ने नौकरी छुडवा दी। इरा ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और अपनी शादी की तैयारी में जुट गयी। उसके रिश्तेदार और परिचितों सभी में इरा भाग्य से ईर्ष्या हो रही थी कि देने लेने के लिए कुछ भी नहीं और इतने बड़े घर में रिश्ता हो रहा है। बाहर की चमक दमक देख कर अंदर झाँकने या फिर उसके बारे में पता लगाने की कोई जरूरत भी नहीं समझी। ससुर भी बहुत इज्जतदार और समझदार इंसान थे।
घर में आने पर इरा का खूब स्वागत हुआ। पता नहीं क्यों इरा को ये सब पच नहीं रहा था। लेकिन अपने मन की आशंका वह कहे तो किससे? पहली ही रात नशे में धुत विषय को देख कर उसको अपने इस घर में लाने का कारण कुछ कुछ समझ आने लगा था। धीरे धीरे वह समझ गयी कि वह बिगड़े हुए रईसजादे के लिए लाया गया था। सास और ननद ने बहुत दिनों तक लीपापोती की लेकिन सच कब तक छुप सकता था।
पत्नी के प्रति अधिकार और उनका उपयोग विषय को बखूबी आता था और कोशिश करता था कि उसको कुछ पता न लगे लेकिन आखिर कब तक? इरा को सब कुछ समझ आ गया कि बिजनेस के नाम पर सारा काम दुकान पर नौकर देखा करते थे और विषय को घूमने फिरने और लड़कियों को घुमाने से फुरसत नहीं मिलती थी। पैसा पानी की तरह बहाना उसकी आदत में शुमार था। कुछ दिनों तक इरा को भी खूब घुमाया फिराया और फिर अपनी आदत के अनुकूल वह बाहर की मटरगश्ती शुरू कर दी।
विषय के लिए गांजा और शराब घर के सामान की तरह आया करती थी। पहले तो सास ने लीपापोती की और फिर उसको ही दोष देना शुरू कर दिया कि शादी इसी लिए की थी कि ये शादी के बाद सुधर जाएगा और इसीलिए तुम जैसी लड़की को चुना था कि समझदार हो तो सब कुछ ठीक कर लोगी। अपना भविष्य भी तो देखो, ऐसे ही सब उड़ाता रहा तो एक दिन सड़क पर आ जाएँगे। पापा कब तक कमाते रहेंगे और अभी तो नीना की शादी भी तो करनी है। कुछ बचेगा ही नहीं तो क्या करेंगे ? तुम्हें क्या लगता है? इसने सारे पैसे उड़ाने में कोई कसर बची है।
कुछ महीने बाद ही उसको पता चला कि वह माँ बनने वाली है, सारा घर खुश हो गया और ऐसा नहीं विषय भी बहुत खुश हो गया। और इसके साथ ही उसका बाहर रहना भी बढ़ गया। वह महंगे महंगे गिफ्ट लेकर दोस्तों की पत्नियों को देने जाता था और अगर कोई लड़की मिल जाए तो रईसियत दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ता था। घर में खूबसूरत पढ़ी लिखी पत्नी होने के बाद भी उसको बाहर की हर औरत चाहे किसी कि पत्नी ही क्यों न हो, उसको उसे प्रभावित करने में भी पीछे न हटता था।
कुछ महीने बाद ही उसको पता चला कि वह माँ बनने वाली है, सारा घर खुश हो गया और ऐसा नहीं विषय भी बहुत खुश हो गया। और इसके साथ ही उसका बाहर रहना भी बढ़ गया। वह महंगे महंगे गिफ्ट लेकर दोस्तों की पत्नियों को देने जाता था और अगर कोई लड़की मिल जाए तो रईसियत दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ता था। घर में खूबसूरत पढ़ी लिखी पत्नी होने के बाद भी उसको बाहर की हर औरत चाहे किसी कि पत्नी ही क्यों न हो, उसको उसे प्रभावित करने में भी पीछे न हटता था।
समय पर बेटा हुआ और फिर अपनी शान और रुतबा दिखाने में खूब खर्च किया गया। घर का बिजनेस उसके खर्चों को झेलता चला जा रहा था। पैसे की वसूली का काम विषय के हाथ में था और फिर खर्च करने में कैसा संकोच? आखिर कब तक? बिजनेस में घाटा हुआ और बंद करना पड़ा। विषय की लतों पर अंकुश अभी भी न लग पाया था।
बच्चे के लिए महँगे खिलौने और कपड़ों के लिए उसने दोस्तों से उधार लेना शुरू कर दिया और जब सिर से पैर तक कर्ज में डूब गया तो इरा के गहने बेचना शुरू किया और फिर गाड़ी, स्कूटर सब कुछ बेच कर सड़क पर खड़ा हो गया और इसके लिए इरा के सिर सारा ठीकरा फोड़ दिया गया -
"पता नहीं कैसे पैर पड़े कि सब कुछ बरबाद हो गया ? अगर मेरी कहीं और शादी हो गयी होती तो पता नहीं कितना दहेज़ मिलता? ये मेरी गले बाँध दिया तुम लोगों ने।" विषय भी अपने शौक और अय्याशी में बाधा देख कर उसको सुनाया करता था। धीरे धीरे उसने इरा को अपने पिता से , बहन से और रिश्तेदारों से उधार माँगने के लिए मजबूर कर दिया। वह गैरत वाली लड़की सौ बार मरती और सौ बार जीती। उसके सारे गहने बेच कर उड़ा दिए। ससुर ने अपने रिटायर होने पर सारा पैसा विषय के जॉइंट में जमा किया था निकल कर उड़ा चुका था।
इन सब बातों की जानकारी माँ को हुई तो एक रात अचानक वह हार्ट फेल होने से चल बसी।
इरा अब तक बहुत दबाव में थी लेकिन जब हर काम के लिए हाथ फैलने से अच्छा उसने विषय को सुधारने का संकल्प लिया। ससुर से कह कर उसने घर का किराया और पेंशन अपने हाथ में लेना शुरू कर दिया। उसने सबसे पहले झूठी शान को ढोने वाले घर वालों के मन से ये निकालने के लिए कहा और खुद घर के हर काम करने वाले को हटा दिया और सारे काम खुद करने शुरू कर दिए। सुबह से शाम तक सब कुछ करती। अब वह नशे के लिए विषय को महीने में गिने चुने पैसे देती थी। सारे दोस्तों को उसने मना कर दिया कि अगर कोई विषय को पैसे उधार देगा तो वापस मिलने की उम्मीद न करें।
जब विषय ने ये सब सुना तो एक रात उसको बहुत मारा। बच्चा सहम कर रह गया लेकिन इरा ने कसम खाई थी कि मैं आत्महत्या नहीं करूँगी और न ही अपने बच्चे को सड़क पर लाने दूँगी। वह बोलती बहुत कम थी लेकिन उसने नशे को छुड़ाने के लिए कुछ प्रयोग किये और वह विषय को चाय में दवा डाल कर देने लगी क्योंकि जानती थी कि इसके छोड़े बिना इस घर का बचाया नहीं जा सकता है। इरा के इतने प्रयासों के बाद मित्रों ने साथ छोड़ दिया , रिश्तेदारों ने भी देना बंद कर दिया। इरा को घर से बाहर नहीं जाने देता था क्योंकि उसको लगता था कि जैसे वह दूसरी सुन्दर औरतों का दीवाना था वैसे ही कोई उसकी पत्नी के पीछे भी पड़ सकता है। उसने बाहर नौकरी की उम्मीद छोड़ दी और उसने घर पर ही काम शुरू कर दिया। बच्चे को पढ़ाना था और पति से नाउम्मीद इरा सारा भविष्य बच्चे के लिए चाहती थी। बच्चे भी वक्त से पहले समझदार हो चुके थे। वह कहीं जा नहीं सकती थी तो बच्चे के प्रिंसिपल को पत्र के सहारे अपने हालात व्यक्त कर फीस माफ करवाई और प्रिंसिपल ने हालात समझ कर उसे फ्री कोचिंग लेना शुरू कर दिया।
जब विषय ने ये सब सुना तो एक रात उसको बहुत मारा। बच्चा सहम कर रह गया लेकिन इरा ने कसम खाई थी कि मैं आत्महत्या नहीं करूँगी और न ही अपने बच्चे को सड़क पर लाने दूँगी। वह बोलती बहुत कम थी लेकिन उसने नशे को छुड़ाने के लिए कुछ प्रयोग किये और वह विषय को चाय में दवा डाल कर देने लगी क्योंकि जानती थी कि इसके छोड़े बिना इस घर का बचाया नहीं जा सकता है। इरा के इतने प्रयासों के बाद मित्रों ने साथ छोड़ दिया , रिश्तेदारों ने भी देना बंद कर दिया। इरा को घर से बाहर नहीं जाने देता था क्योंकि उसको लगता था कि जैसे वह दूसरी सुन्दर औरतों का दीवाना था वैसे ही कोई उसकी पत्नी के पीछे भी पड़ सकता है। उसने बाहर नौकरी की उम्मीद छोड़ दी और उसने घर पर ही काम शुरू कर दिया। बच्चे को पढ़ाना था और पति से नाउम्मीद इरा सारा भविष्य बच्चे के लिए चाहती थी। बच्चे भी वक्त से पहले समझदार हो चुके थे। वह कहीं जा नहीं सकती थी तो बच्चे के प्रिंसिपल को पत्र के सहारे अपने हालात व्यक्त कर फीस माफ करवाई और प्रिंसिपल ने हालात समझ कर उसे फ्री कोचिंग लेना शुरू कर दिया।
सब कुछ बहुत अच्छा तो नहीं लेकिन सारा बोझ अपने सिर लेकर वह घर को चला रही थी और फिर एक दिन किसी डॉक्टर को ड्राइवर की जरूरत थी और फिर न जाने कौन सा माध्यम बना और विषय जो कभी खुद दो दो सहायक रखता था, उस डॉक्टर के क्लिनिक में एक रिसेप्शनिस्ट की जरूरत थी और किसी ने विषय को वहाँ जाकर काम करना सुझाया और उसने वहाँ नौकरी कर ली। इरा का धैर्य और सहनशीलता अब जाकर सफल हो रही थी। उसने विषय जैसे बिगड़ैल रईस को रास्ते पर ला दिया था। उसने कभी कोई लड़ाई नहीं की, मार खाई , गालियाँ खायीं लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
बेटे का चयन इंजीनिरिंग के लिए हुआ और उसने बैंक से लोन लेकर उसका एडमिशन करवाया। विषय इतना बदल जाएगा उसको पता नहीं था। सुबह आठ बजे घर से निकलता और शाम चार बजे वापस। कुछ उम्र कहें या फिर इरा की दृढ इच्छाशक्ति के आगे झुक गया। बच्चों की और भी ध्यान देना शुरू कर दिया था।
आज बेटे की नौकरी लगने पर और विषय के सारे व्यसनों से मुक्त करवा कर उसने विजय पर्व मनाया है।
आज बेटे की नौकरी लगने पर और विषय के सारे व्यसनों से मुक्त करवा कर उसने विजय पर्व मनाया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कथानक इसी धरती पर हम इंसानों के जीवन से ही निकले होते हैं और अगर खोजा जाय तो उनमें कभी खुद कभी कोई परिचित चरित्रों में मिल ही जाता है. कितना न्याय हुआ है ये आपको निर्णय करना है क्योंकि आपकी राय ही मुझे सही दिशा निर्देश ले सकती है.