गुरुवार, 27 जून 2024

पार्टी!

 पार्टी!


ऑफिस में आकर  जैसे ही सुमन ने अपना सिस्टम खोला, मेल का नोटिस देखा, उस मेल में उसे एक कार्ड मिला, जो स्मृति और शशांक  की ओर से था ।  

  डिअर ऑल ,


                 यू आर कोआरर्डिली इन्वाइटेड टू ज्वाइन अस एट 5 pm.

                                          थैंक्स।

 स्मृति एन्ड शशांक  

वेन्यू : पामेला पार्टी लॉन्

 5 pm

      सुमन ने रवि की और मुखातिब होकर कहा - "रवि शशांक की कोई मेल आई है क्या ?"

    "हाँ आई है न , कल शाम पार्टी की। "

                  इन दोनों की बात सुनकर सब अपने केबिन से उठ उठ कर बोल उठे - "हाँ सबको बुलाया है , पूरा सेक्शन ही इन्वाइटिड है। "

      "अच्छा अच्छा अब चर्चा बंद और इस विषय में बात लंच टाइम में करेंगे।"  इंचार्ज ने सबको शांत करते हुए कहा।

         सब अपने अपने काम में लग गए।  किसी का सबको पार्टी में बुलाना कोई नई बात है क्या ? सब करते ही रहते हैं।

        इस बार तो बड़ी चर्चा हो रही है , खुसपुस बराबर जारी है , बराबर वाले केबिन से धीरे धीरे चर्चा चल रही थी। विषय क्या था बस यही कि कल ही कोर्ट से स्मृति और शशांक के बीच डाइवोर्स हुआ है।  आपसी सहमति से ही हुआ है और दोनों ही एक ही ऑफिस में लेकिन अलग अलग सेक्शन में है। दोनों में किसी के मन में कोई मलाल नहीं और मिलकर पार्टी देने का प्लान भी बहुत ही अलग तरीके से है।

                लंच के समय सब लोग जब हाल में इकट्ठे हुए तो सब अपने-अपने तरीके से विचार व्यक्त कर रहे थे।

-          "यार लोग तो मिलने से कतराते हैं और ऑफिस में भी आकर मुँह छिपाते हैं और ये तो पार्टी देने का प्लान बनाये बैठे हैं। "

          "ये तो लिव-इन जैसा हो गया कि नहीं पटी तो रास्ते अलग अलग , इसमें बस कोर्ट से जाकर मुहर लगवा ली।"

         "पर यार ये बता कि इसमें हम क्या लेकर जायेंगे और किसके लिए ?"

        "मेरे हिसाब से तो को चार बुके बनवा लेते हैं और हम भी ग्रुप में जाकर एक एक करके दोनों को ही पकड़ा देंगे। बधाई भी दे देंगे।"

       "बधाई किस बात की ?"

      "जिस बात की हमें पार्टी दी जा रही है। "

      "हाँ डाइवोर्स पार्टी , ये तो एक नया ही मौका बन गया, जिसे सेलिब्रेट करने की बात किसी ने सोची ही नहीं आजतक। "

                    शाम सब जब पामेला पार्टी लॉन  पहुँचे तो जैसे तीन.साल पहले इन दोनों शादी की पार्टी दी थी वैसे ही पूरी पार्टी रखी गयी थी।

               एक पार्टी साथ होने की और दूसरी अलग होने की। कितनी अजीब हो गयी है ये सोसाइटी कि इसके रीति रिवाज भी बदल गए हैं। लोग समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें बधाई देने के लिए किन शब्दों का प्रयोग करें। किस तरह से पेश आयें।


एक संबोधन!

           " देखो नानी अभी आई हैं, उन्हें आराम कर लेने देना।" निधि अपने सात साल और दो साल के बेटे को समझा रही थी।

    "फिर नानी खेलेंगी न हमारे साथ।" 

     "जरूर।"

        शानू ने अपने मित्रों को बता रखा था कि मेरी नानी आ रही हैं।

         शानू के दो मित्र आ गये। मानू नानी, नानी चिल्ला रहा था और नानी हर बार 'बेटू' कह कर उसे उत्तर दे रहीं थीं।।

        शानू का एक मित्र दीपू नानी के पास आकर खड़ा हो गया तो नानी ने पूछा -"कुछ चाहिए?"

         "जी।" 

         "बतलाइये।"

         "आप मुझे भी बेटू कहेंगी, मुझे कोई बेटू नहीं कहता। मम्मा तो भैया को ही कहती है।" उस बच्चे की आँखें भर आईं थी।

        "हाँ कहूँगी न।" बगैर पूछे नानी ने उसे अपने अंक में भर लिया।

सोमवार, 3 जून 2024

बस एक नाम!


बस एक नाम!

      "देखो नानी आज आई हैं, उन्हें आराम कर लेने देना।" निधि अपने सात साल के बेटे और दो साल की बेटी को समझा रही थी।

    "फिर नानी खेलेगी न हमारे साथ।" 

    "जरूर।"

   शानू ने अपने मित्रों को बता रखा था कि मेरी नानी आ रही हैं।

     शानू के दो दोस्त आ गए। मनु नानी, नानी चिल्ला रही थी और नानी हर बार 'बेटू' कह कर उसे उत्तर दे रही थीं।

     शानू की एक दोस्त दीपा नानी के पास आकर खड़ी हो गई तो नानी ने पूछा -"कुछ चाहिए?"

       "जी"  

        "बतलाइये।"

      "आप मुझसे भी बेटू कहेंगी, मुझे कोई बेटू नहीं कहता। मम्मा तो बस भैया को ही कहती है।" वह बच्ची की आँखें भर आईं थी।

     "हाँ कहूँगी न।" तुरन्त नानी ने उसे अपने अंक में भर लिया।


-- रेखा श्रीवास्तव