सोमवार, 3 जून 2024

बस एक नाम!


बस एक नाम!

      "देखो नानी आज आई हैं, उन्हें आराम कर लेने देना।" निधि अपने सात साल के बेटे और दो साल की बेटी को समझा रही थी।

    "फिर नानी खेलेगी न हमारे साथ।" 

    "जरूर।"

   शानू ने अपने मित्रों को बता रखा था कि मेरी नानी आ रही हैं।

     शानू के दो दोस्त आ गए। मनु नानी, नानी चिल्ला रही थी और नानी हर बार 'बेटू' कह कर उसे उत्तर दे रही थीं।

     शानू की एक दोस्त दीपा नानी के पास आकर खड़ी हो गई तो नानी ने पूछा -"कुछ चाहिए?"

       "जी"  

        "बतलाइये।"

      "आप मुझसे भी बेटू कहेंगी, मुझे कोई बेटू नहीं कहता। मम्मा तो बस भैया को ही कहती है।" वह बच्ची की आँखें भर आईं थी।

     "हाँ कहूँगी न।" तुरन्त नानी ने उसे अपने अंक में भर लिया।


-- रेखा श्रीवास्तव

1 टिप्पणी:

कथानक इसी धरती पर हम इंसानों के जीवन से ही निकले होते हैं और अगर खोजा जाय तो उनमें कभी खुद कभी कोई परिचित चरित्रों में मिल ही जाता है. कितना न्याय हुआ है ये आपको निर्णय करना है क्योंकि आपकी राय ही मुझे सही दिशा निर्देश ले सकती है.